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Fact Check: अमित शाह ने नहीं कहा कि पटेल ने 1960 सिंधु जल संधि का विरोध किया था, वायरल दावा FAKE और वीडियो एडिटेड है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर लंबी चर्चा हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ विपक्ष के राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। सोशल मीडिया यूजर्स संसद के इसी सत्र की कार्यवाही के वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि अमित शाह ने संसद में सरदार पटेल का जिक्र करते हुए गलत बयानी की। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपने भाषण के दौरान कथित तौर पर कहा कि 1960 में सरदार पटेल ने विरोध किया था, जबकि सरदार पटेल की मृत्यु 1950 में हो गई थी।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो क्लिप उनके भाषण का एक अंश है, जिसे उसके संदर्भ से अलग कर दिया गया है। अमित शाह ने सरदार पटेल का जिक्र तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पाकिस्तान के साथ 1948 के युद्ध में युद्धविराम किए जाने के फैसले के विरोध के संदर्भ में किया था, जिसका पटेल ने विरोध किया था। इसी दौरान उन्होंने 1960 के सिंधु जल समझौते का जिक्र किया था। लेकिन पटेल का जिक्र उन्होंने 1960 के संदर्भ में नहीं, बल्कि 1948 के युद्धविराम के संदर्भ में किया था, जिसका पटेल ने विरोध किया था।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Shekhar Tudu’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “सरदार पटेल जी का निधन 1950 में ही हो गया था…तो फिर 1960 में सरदार पटेल जी ने विरोध कैसे किया? हमारे हाथी वाले चाचा का धुआं धुआं तो उपयोग नहीं किया है।”

इस वीडियो क्लिप को कई अन्य यूजर्स और कांग्रेस समर्थित सोशल मीडिया हैंडल ने शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो क्लिप संसद के जारी मानसून सत्र का है। 29 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आयोजित विशेष चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष को युद्ध पर उसकी दोहरी नीति पर खरीखोटी सुनाई थी। शाह का यह भाषण संसद टीवी के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर उपलब्ध है।

अपने भाषण के दौरान उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान युद्धविराम किए जाने की घोषणा पर विपक्ष की आलोचना का जवाब देते हुए कहा था कि जो इन दिनों यह सवाल उठा रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत मजबूत स्थिति में था, युद्धविराम क्यों किया?, तो उन्हें यह बताना जरूरी है कि युद्ध के कई परिणाम होते हैं और इसे करना या न करने के बारे में सोचना पड़ता है।

इसके बाद उन्होंने विपक्ष के हमलों पर पलटवार करते हुए कहा कि जब भारत की सेना ने पाकिस्तान के हमला करने की क्षमता को छिन्न-भिन्न कर दिया, तब “पाकिस्तान के पास (भारत के) शरण में आने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था। – मान्यवर, इसलिए 10 मई को -पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन किया और 5:00 बजे हमने इस संघर्ष को विराम किया।”

इसके बाद उन्होंने विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए कहा, “मान्यवर ये लोग कल सवाल उठा रहे थे कि इतनी अच्छी पोजीशन में थे आपने युद्ध क्यों नहीं किया। युद्ध के कई परिणाम होते हैं मान्यवर करना, ना करना वो सोच करना पड़ता है। मगर मैं इसी देश के इतिहास से कुछ घटनाएं बताना चाहता हूं। 1948 में, मान्यवर कश्मीर में हमारी सेनाएं निर्णायक बढ़त पर थी। सरदार पटेल ना बोलते रहे, जवाहरलाल नेहरू जी ने एकतरफा युद्धविराम कर दिया। और मान्यवर मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं, मैं इतिहास का विद्यार्थी हूं, पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर का अगर अस्तित्व है, तो जवाहरलाल नेहरू जी की यह युद्ध विराम के कारण है। इसका जिम्मेदार जवाहरलाल नेहरू है।”

इसके आगे शाह एक और अतीत की घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं, “मान्यवर 1960 में….. (विपक्ष के हंगामे के बाद वह  फिर से 1948 के युद्धविराम के संदर्भ में सरदार पटेल का जिक्र करते हुए कहते हैं, “सरदार पटेल ने विरोध किया था गाड़ी लेकर आकाशवाणी तक गए थे। घोषणा ना करते दरवाजे बंद कर दिए थे।”)”

इसके बाद शाह फिर से 1960 वाले प्रसंग का जिक्र करते हुए कहते हैं, ” मान्यवर 1960 में सिंधु जल पर भौगोलिक व रणनीतिक रूप से हम बड़े मजबूत थे। और उन्होंने सिंधु समझौता क्या करा…80% भारत का पानी पाकिस्तान को दे दिया। मान्यवर 62 के लड़ाई की बात मैं बाद में करुंगा। (19)65 की लड़ाई में हाजीपीर जैसे स्ट्रैटजिक जगह पर हमने कब्जा किया था। (19)66 में उसको लौटा दिया गया। मैं 71 के युद्ध की भी बात करना चाहता हूं। मान्यवर 71 में..कल राजनाथ जी ने भी बताया। पूरे देश ने इंदिरा जी का समर्थन किया। उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। बहुत बड़ी विजय थी, भारत की…और सदियों तक भारत इस विजय पर गर्व करेगा। हम सब भी करते हैं। हमें कोई आपत्ति…(नहीं) मगर हुआ क्या मान्यवर युद्ध की विजय की चकाचौंध में क्या हुआ? 92…93000 युद्धबंदी हमारे पास थी। 93000 और 15,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान का हमारे पास था। 93,000 युद्धबंदी उस वक्त की पाकिस्तान की सेना का 42% और 15,000 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र….मगर शिमला में समझौता हुआ पाक ऑक्यूपाइड  कश्मीर मांगना ही भूल गए। अगर उस वक्त पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर मांग लेते…ना रहेगा बांस ना बजती बांसुरी। ये कैंप तोड़ने की जरूरत ना पड़ती साहब आपको हमको मान्यवर।”

हमारी जांच से स्पष्ट और साफ है कि शाह ने अपने 29 जुलाई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान सरदार पटेल का जिक्र 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के युद्धविराम के संदर्भ में किया था। इसके बाद वह कांग्रेस की एक और ऐतिहासिक विफलता के तौर पर 1960 की सिंधु जल संधि का जिक्र करते हैं और इसी दौरान जब विपक्ष हंगामा करता है तो वह 1948 के युद्धविराम के संदर्भ में पटेल के विरोध का जिक्र करते हैं और फिर सिंधु जल संधि के प्रसंग पर अपनी बात को पूरा करते हैं।

हालांकि, वायरल वीडियो क्लिप में उनके एक 1960 वाले भाषण के अंश को शामिल किया गया है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि उनका यह बयान पटेल के संदर्भ में था।

कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में उनके इस बयान का जिक्र है।

वायरल वीडियो क्लिप को लेकर हमने दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर संजय मिश्रा से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “अमित शाह ने सरदार पटेल का जिक्र 1948 के युद्धविराम के विरोध के संदर्भ में किया था।”

वायरल वीडियो को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर 10 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरदार पटेल का जिक्र 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के युद्धविराम के संदर्भ में किया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत निर्णायक बढ़त की स्थिति में था और पटेल के विरोध करने के बावजूद नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी।

इसके बाद वह कांग्रेस पर एक और ऐतिहासिक विफलता का आरोप लगाते हुए 1960 की सिंधु जल संधि का जिक्र करते हैं और इसी दौरान जब विपक्ष हंगामा करता है तो वह अपनी बात रोककर 1948 के युद्धविराम के संदर्भ में पटेल के विरोध का जिक्र करते हैं और फिर 1960 की सिंधु जल संधि के प्रसंग पर अपनी बात को पूरा करते हैं। हालांकि, वायरल वीडियो क्लिप में उनके 1960 वाले भाषण के अंश को शामिल किया गया है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने पटेल का जिक्र 1960 के संदर्भ में किया। बताते चलें कि पॉलिटिकल डिस-इन्फॉर्मेशन फैलाने के लिए नेताओं के भाषणों के एडिटेड क्लिप या उसके चुनिंदा अंश को इस तरह से शेयर किया जाना आम तरीका है।

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