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Fact Check : बांग्लादेश में नाबालिग पर पुलिसकर्मियों के ‘बल प्रयोग’ के वीडियो को गलत दावे के साथ किया जा रहा वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में कुछ पुलिसवाले एक बच्चे को पकड़कर उसे खींचते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो को शेयर करते हुए यूजर दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश में इस हिन्दू बच्चे से जबरन कलमा पढ़वाया जा रहा है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि नशीले पदार्थों का सेवन और उसे रखने के आरोपी नाबालिग के साथ बांग्लादेशी पुलिस के बुरे बर्ताव के वीडियो को गलत व सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। 

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, “ये जबरन नहीं तो और क्या है? बांग्लादेश में एक छोटे हिंदू बच्चे से ज़बरदस्ती कलमा बुलवाया जा रहा है… पीछे से आवाज़ आ रही है – “ला इलाहा…” और सामने पुलिस खड़ी है… मौलवी की आज्ञा पर सब कुछ हो रहा है। मासूम बच्चा, डर से कांपता हुआ… और उसके मुंह से निकाले जा रहे वो शब्द, जो उसके दिल के नहीं हैं। ये कौन सा मजहब है जहाँ बच्चा भी नहीं बख्शा जाता? क्या यही इंसानियत है? जहाँ एक बच्चे की आस्था को रौंद दिया जाए? जहाँ पुलिस खुद तमाशा देखती रहे? ये सिर्फ धर्म नहीं छीनने की कोशिश है… ये एक पीढ़ी को डराने की साजिश है। और अगर तुम आज भी चुप रहे, तो अगली बारी किसी और की नहीं… तुम्हारे घर की हो सकती है।”

पोस्ट के आर्काइव  वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स निकाले और उन्हें गूगल लेंस के जरिये सर्च किया। सर्च किये जाने पर हमें यह वीडियो बांग्लादेश के एएनटी न्यूज टीवी के फेसबुक पेज पर 18 जुलाई 2025 को अपलोड किया हुआ मिला। यहां वीडियो के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, यह बांग्लादेश की चपई नवाबगंज की पुलिस है।

इसी बुनियाद पर हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया और न्यूज सर्च किया। सर्च किये जाने पर हमें बांग्लादेशी न्यूज वेबसाइट नागोरिक डॉट कॉम पर वायरल वीडियो के फ्रेम मिले। 18 जुलाई 2025 छपी खबर के अनुसार, “चपई नवाबगंज  में पुलिस द्वारा एक बच्चे पर ‘बल प्रयोग’ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इसकी आलोचना हो रही है। 28 सेकंड के इस वीडियो में सदर थाने के प्रभारी (ओसी) मतिउर रहमान एक बच्चे का हाथ पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। एक अन्य पुलिसकर्मी बच्चे की टी-शर्ट का गला पकड़े हुए है। एक जगह सदर थाने के सब-इंस्पेक्टर (एसआई) अब्दुल हई बच्चे के बाल पकड़कर पीछे से बल प्रयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। सदर थाने के ओसी मतिउर रहमान ने बताया कि यह घटना 6 जुलाई को हुई, जिस दिन चपई नवाबगंज  में एनसीपी का जुलाई मार्च था। बच्चा एनसीपी नेताओं के पास गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसे वहाँ से हटा दिया गया था। बाद में उसके पास से एक नशीला पदार्थ मिला। हालांकि , उन्होंने पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने की बात से इनकार किया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ए.एन.एम. वसीम फिरोज ने कहा, “बच्चे के नशे में होने की बात सही है।साथ में उन्होंने कहा कि  उसके साथ पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं था।”

इस मामले से जुड़ी खबर बांग्लादेश की कई न्यूज़ वेबसाइट पर पढ़ी जा सकती है। हर जगह दी गई जानकारी के अनुसार, बच्चे को नशीली पदार्थ रखने  की वजह से पकड़ा गया था। हालांकि, बाद में उसे छोड़ दिया गया। इस मामले की ख़बरों को यहां, यहां यहां और यहां पढ़ा जा सकता है।

इस मामले से संबंधित वीडियो हमें बांग्लादेश से चलाये जाने वाले ‘देश 24’ नाम के फेसबुक पेज पर 19 जुलाई को अपलोड किया हुआ मिला। यहां इस मामले पर चपई नवाबगंज पुलिस अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि बच्चे को नशा बेचने के आरोप में पकड़ा गया था।

बता दें कि, नाबालिग होने की वजह से हमें किसी भी बांग्लादेशी न्यूज रिपोर्ट में बच्चे की पहचान और उसके नाम से संबंंधित कोई जानकारी नहीं मिली, लेकिन इस घटना को लेकर सभी न्यूज रिपोर्ट्स में नाबालिग के नशे में होने और नशीले पदार्थों को उसके पास मिलने का जिक्र है। किसी भी रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र नहीं है कि इस घटना में बांग्लादेश की पुलिस ने नाबालिग के साथ उसके धार्मिक पहचान की वजह से बदसलूकी की या उसे कलमा पढ़ने के लिए बाध्य किया।

वायरल वीडियो से जुड़ी पुष्टि के लिए हमने बांग्लादेश के पत्रकार सदिकुर रहमान  से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि पुलिस ने इस बच्चे को नशा और चोरी के आरोप में पकड़ा था।

इंडियन एक्सप्रेस की मार्च 2025 की खबर के अनुसार, “विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा को बताया कि 2024 में बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के 2,400 मामले हुए और 2025 में अब तक 72 ऐसे मामले सामने आए हैं।

 वीडियो को फर्जी सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर को 15 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। वहीं, इस प्रोफाइल  से विचारधारा विशेष से प्रेरित पोस्ट शेयर की जाती हैं।

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