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Fact Check: तस्वीर पर टच करने से नहीं मिलेगा कैशबैक, बल्कि होगी धोखाधड़ी

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर कैशबैक के नाम से कुछ लिंक्स तेजी से वायरल हो रहे हैं। लिंक्स को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पोस्ट में मौजूद तस्वीर को छूने पर कैशबैक दिया जायेगा। 

विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा फर्जी साबित हुआ। फेक लिंक्स को यूजर के साथ धोखाधड़ी करने के मकसद से वायरल किया जा रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, लुभावने ऑफर देखकर अनजान लिंक पर क्लिक करना खतरनाक साबित हो सकता है। हैकर्स डेटा चोरी करने और आर्थिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से इस तरह की पोस्ट को शेयर करते हैं। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘इसी हब’ ने 29 जून 2025 को वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “बधाई हो अपने जीता है कैशबैक कूपन 691”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

फेसबुक यूजर ‘ड्रीम स्वीट’ ने 30 जून 2025 को वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “बधाई हो अपने जीता है कैशबैक कूपन 691/”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

फेसबुक यूजर ‘इजी हब’ ने  30 जून 2025 को वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “बधाई हो अपने जीता है कैशबैक कूपन 691/”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

फेसबुक यूजर ‘योजना भत्ता’ ने 1 जुलाई 2025 को पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “अपना स्क्रैच कार्ड क्लेम करे और पाये कैशबैक बैंक खाते में !!!”

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फेसबुक यूजर ‘जनधन योजना’ ने  1 जुलाई  2025 को वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “आपको मिला है 691 रुपये का कैशबैक। सोने के मोर को टच करें और पाएं 691 का कैशबैक!”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल लिंक्स की सच्चाई जानने के लिए जब हमने इन पर क्लिक किया। पहली पोस्ट के लिंक पर क्लिक करने पर हमारे सामने सुरेश केयर डॉट कॉम नाम की एक वेबसाइट खुलकर सामने आ गई। वेबसाइट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी हुई है और लिखा है, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सभी को 1999 रुपये दिये जा रहे हैं। नीचे दिये गये स्क्रैच कार्ड पर स्क्रैच करने से खाते में पैसे आ जाएंगे। 

लिंक का यूआरएल सुरेश केयर डॉट कॉम है, जबकि आधिकारिक वेबसाइट का लिंक मुद्रा डॉट ओआरजी डॉट इन है। 

दूसरी और तीसरी पोस्ट के लिंक पर क्लिक करने पर भी हमारे सामने इसी तरह की एक वेबसाइट wh1432826 डॉ आईएसपीओटी डॉट सीसी खुलकर सामने आ गई। इस वेबसाइट पर भी मुद्रा योजना के तहत ही पैसे खाते में आने की बात कही गई है।

केंद्र सरकार की वेबसाइट माय स्कीम पर दी गई जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना गैर-कृषि क्षेत्र में विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्रों में लगे सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का लोन उपलब्ध कराती है, जिसमें कृषि से जुड़ी गतिविधियां जैसे मुर्गी पालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन आदि शामिल हैं। यह योजना गैर-कॉरपोरेट  और गैर-कृषि क्षेत्र की सूक्ष्म और लघु संस्थाओं को सदस्य लोन संस्थानों द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

चौथी पोस्ट पर क्लिक करने पर हमारे सामने मुद्रा योजना जैसी ही एक वेबसाइट डेली रिवार्ड डॉट एक्स वाई जेड खुलकर सामने आ गई। लेकिन इस वेबसाइट पर मुद्रा योजना की जगह प्रधानमंत्री अनुदान योजना लिखा हुआ है। लिंक के यूआरएल में एक्सवाईजेड दिया गया है। अगर यह केंद्र सरकार की योजना होती तो यूआरएल डॉट जीओवी डॉट इन या एनआईसी डॉट इन से होता। इससे हमें यह पोस्ट संदिग्ध लगी।

पांचवीं पोस्ट के लिंक पर क्लिक करने पर हमें हमारे सिस्टम ने चेतावनी दी। सिस्टम ने हमें लिंक के खतरनाक होने के बारे में बताया।

अधिक जानकारी के लिए हमने पूर्व आईपीएस एवं साइबर एक्सपर्ट त्रिवेणी सिंह से संपर्क किया। उनका कहना है, “सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं चलती हैं। इसी का फायदा साइबर क्राइम करने वाले लोग उठाते हैं। वो सरकार के नाम पर नकली वेबसाइट बनाते हैं और लोगों के साथ ठगी करने की कोशिश करते हैं। केंद्र सरकार अगर कोई योजना लागू करती है या फिर उसका एलान करती है, तो मीडिया में न्यूज में ये चीजें मौजूद होती हैं। सरकार की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया पर भी इसकी जानकारी दी जाती है। वायरल लिंक किसी आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी वेबसाइट का नहीं है। साइबर अपराधी अक्सर लालच देकर इस तरह के फिशिंग लिंक शेयर करते हैं। इस पर क्लिक नहीं करना चाहिए।”

अंत में हमने फर्जी लिंक को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ड्रीम स्वीट के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर का अकाउंट प्राइवेट है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि फेक लिंक्स को यूजर के साथ धोखाधड़ी करने के मकसद से वायरल किया जा रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक, लुभावने ऑफर देखकर अनजान लिंक पर क्लिक करना खतरनाक साबित हो सकता है। हैकर्स डेटा चोरी करने और आर्थिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से इस तरह की पोस्ट को शेयर करते हैं। 

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