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Fact Check: अजमेर की दरगाह का बताकर शेयर किया जा रहा आग की घटना का वीडियो मध्य प्रदेश का है

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोदनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की जगह मंदिर होने का दावा किया गया है। इस मामले से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कई लोगों को मशाल जुलूस के दौरान हुए हादसे के बाद भागते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि कई हिंदू मशाल लेकर अजमेर की दरगाह पर गए थे, जहां यह हादसा हो गया।

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल वीडियो मध्य प्रदेश के खंडवा में 28 नवंबर की रात को निकाले गए मशाल जुलूस के दौरान हुए हादसे का है। इसका अजमेर से कोई संबंध नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट?

इंस्टाग्राम यूजर islamic_reels_scene ने 3 दिसंबर को वीडियो को पोस्ट (आर्काइव लिंक) किया है। इसमें मशाल जुलूस के दौरान आग भड़कने के बाद लोगों को भागते देखा जा सकता है। वीडियो पर लिखा है, “अजमेर मे गए थे मन्दिर ढूढने, वोह भी मशाल लेकर, 35 लोग आए आग की लपेट में, 15 की हालत बहुत गंभीर है”

madhya pradesh khandwa video flasely link to ajmer dargah

पड़ताल

वायरल दावे की जांच के लिए हमने सबसे पहले वीडियो क्लिप के स्क्रीनशॉट को गूगल लेंस की मदद से सर्च किया। एमपीसीजी एनडीटीवी की वेबसाइट पर इससे संबंधित खबर छपी है। 29 नवंबर को छपी इस खबर में वीडियो के स्क्रीनशॉट का प्रयोग किया गया है। खबर के अनुसार, मध्य प्रदेश के खंडवा में तिहरे हत्याकांड की बरसी पर मशाल जुलूस निकाला गया था। इस दौरान तेल गिरने से आग भड़क गई थी। हादसे में 50 से ज्यादा लोग झुलस गए, जिसमें से 12 की हालत गंभीर है।

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29 नवंबर को टाइम्स नाउ की वेबसाइट पर भी इस खबर को देखा जा सकता है। इसमें भी वीडियो के स्क्रीनशॉट्स का प्रयोग किया गया है।

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एबीपी गंगा और न्यूज नेशन के यूट्यूब चैनल पर इससे संबंधित वीडियो न्यूज को देखा जा सकता है।

इस बारे में खंडवा में नईदुनिया के रिपोर्टर मनीष कुमार का कहना है कि यह वीडियो मध्य प्रदेश के खंडवा का है। मशाल जुलूस के दौरान यह हादसा हुआ था।

1 दिसंबर को एबीपी लाइव की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यह दावा किया था कि अजमेर शरीफ दरगाह मूल रूप से एक शिव मंदिर था। याचिका पर सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर को अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

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हमने अजमेर दरगाह में मशाल लेकर घुसे लोगों के दावे के बारे में गूगल पर सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली।

वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले इंस्टा यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। एक विचारधारा से प्रभावित यूजर के 19 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

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