नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पीएम मोदी के अलग-अलग वीडियो को जोड़कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। इस वीडियो को वायरल करते हुए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी ने हिंदी भाषा पर सवाल उठाया है। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। दावा भ्रामक साबित हुआ। राहुल गांधी ने अपने भाषण में अंग्रेजी के साथ हिंदी समेत सभी भारतीयों भाषाओं का समर्थन किया था, लेकिन वायरल पोस्ट में राहुल गांधी के भाषण के अधूरे हिस्से को वायरल किया जा रहा है।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक यूजर जीत कुमावत ने 19 दिसंबर को एक पोस्ट करते हुए लिखा, ‘फर्क साफ़ है। एक तरफ राहुल गांधी हिंदुस्तान में हिंदी भाषा पर सवाल उठा रहा है। दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी UN में हिंदी बोलकर देश का सम्मान बढ़ाते हैं।’
वीडियो में राहुल गांधी को यह बोलते हुए देखा जा सकता है कि अगर आप बाकी दुनिया के लोगों से बात करना चाहते हैं, चाहे वे अमेरिका के लोग हों, जापान के लोग हों, इंग्लैंड के लोग हों, तो वहां हिंदी काम नहीं आएगी। अंग्रेजी ही काम आएगी।
इस पोस्ट की बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच के लिए सबसे पहले राहुल गांधी के बयान वाले असली वीडियो को सर्च करना शुरू किया। कांग्रेस के आधिकारिक यूटब चैनल पर हमें ओरिजनल वीडियो मिला। इसे 20 दिसंबर को अपलोड किया गया था। इसमें बताया गया कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राजस्थान के अलवर में यह भाषण दिया था। राहुल गांधी का पूरा भाषण सुनने के बाद स्थिति स्पष्ट हुई। वीडियो में 7:45 मिनट से लेकर 10:35 मिनट के बीच राहुल गांधी को भाषा पर बोलते हुए देखा जा सकता है।
इस भाषण में राहुल गांधी कहते हैं,‘हमारे विपक्ष के नेता हैं, बीजेपी के नेता हैं, जहां भी जाते हैं अंग्रेजी के खिलाफ बात करते हैं। स्कूलों में अंग्रेजी नहीं होनी चाहिए। बंगाली होनी चाहिए। हिंदी होनी चाहिए। मगर अंग्रेजी नहीं होनी चाहिए। कभी आप एक काम कीजिए। जो नेता कहते हैं कि अंग्रेजी नहीं होनी चाहिए, उनके पास जाइए। उनसे पूछिए कि यह बात तो आप अच्छी कर रहे हो लेकिन आपका बेटा कौन से स्कूल में जाता है। क्या अंग्रेजी मीडियम स्कूल में जाता है? हां या ना, हां? इनके सारे के सारे बच्चे… अमित शाह से लेकर इनके सब मुख्यमंत्रियों के बच्चे, सब सांसदों व सब विधायकों के बच्चे…सारे के सारे इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाते हैं और भाषण देते हैं कि अंग्रेजी किसी को नहीं बोलनी चाहिए। ये नहीं चाहते हैं कि हिंदुस्तान का गरीब, किसान का बेटा, मजदूर का बेटा अंग्रेजी सीखे। इसका कारण है, क्योंकि वे चाहते हैं कि आप बड़े सपने नहीं देखो। आप खेत से ही न निकलो, आप मजदूरी से बाहर न निकलो। इसीलिए ये आपसे कहते हैं कि अंग्रेजी मत पढ़ो। मैं यह नहीं कह रहा कि हिंदी मत पढ़ो। जरूर पढ़नी चाहिए…तमिल पढ़नी चाहिए, हिंदी पढ़नी चाहिए, मराठी पढ़नी चाहिए …हिंदुस्तान की सब भाषाएं पढ़नी चाहिए। अगर आप बाकी दुनिया के लोगों से बात करना चाहते हैं, चाहे वे अमेरिका के लोग हों, जापान के लोग हों, इंग्लैंड के लोग हों, तो वहां हिंदी काम नहीं आएगी। अंग्रेजी ही काम आएगी। हम चाहते हैं कि हिंदुस्तान के गरीब से गरीब किसान का बेटा एक दिन जाकर अमेरिका के युवाओं से प्रतिस्पर्धा करे और उसी की भाषा में उसे हराए। यह हमारा दृष्टिकोण है।’
विश्वास न्यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आनंद जाट से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्ट को शेयर किया। उन्होंने बताया कि यह झूठ और प्रोपेगेंडा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से बौखलाहट में इस प्रकार आधा बयान काटकर जारी किया जा रहा है। राहुल गांधी ने हिंदी पर सवाल नहीं उठाया था, बल्कि भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी पर भी जोर दिया था।
वायरल वीडियो वाला हिस्सा हमें नरेंद्र मोदी के यूट्यूब चैनल पर मिला। पूरा वीडियो 25 सितंबर 2021 को अपलोड किया गया। इसमें पीएम मोदी को यूएन की जनरल असेंबली में भाषण देते हुए देखा जा सकता है।
पड़ताल के अंत में भ्रामक पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। सोशल स्कैनिंग में पता चला कि फेसबुक यूजर जीत कुमावत एक राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं। मध्यप्रदेश के रतलाम के रहने वाले इस यूजर को तीन सौ से ज्याद लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि राहुल गांधी के भाषण के अधूरे हिस्से को गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है।
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