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Fact Check: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने तंत्र-मंत्र और सिद्धियों से संतान होने की नहीं कही बात, फर्जी बयान वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान के नाम पर सोशल मीडिया पर एक पोस्‍टकार्ड वायरल हो रहा है। इसमें ऊपर नवभारत टाइम्‍स का लोगो भी लगा हुआ है। इसमें जगद्गुरु रामभद्राचार्य की तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए तंत्र-मंत्र और सिद्धियों से बच्‍चा पैदा होने की बात कही गई है। इस बयान को सच मानकर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने विस्‍तार से इसकी जांच की। यह पोस्‍टकार्ड फेक साबित हुआ। नवभारत टाइम्‍स के पोस्‍टकार्ड का दुरुपयोग करके इसे बनाया गया है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जैसा कि इसमें दावा किया गया है।

क्‍या हो र‍हा है वायरल

फेसबुक यूजर विष्‍णु यादव ने 12 दिसंबर को एक पोस्‍ट कार्ड को शेयर करत हुए लिखा, “हम ब्राह्मण हैं, हमारे अन्दर इतनी शक्तियाँ होती हैं कि बिना संभोग के बच्चा पैदा हो जाता है। हम शादी के बाद तंत्र मंत्र और सिद्धियों से बिना संभोग के बच्चा पैदा कर सकते हैं। आज जहाँ दुनिया अरबों डॉलर खर्च करके IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी तकनीक इस्तेमाल कर रही है, वहीं महाराज जी ने ‘TMT’ (तंत्र-मंत्र-तंत्र फर्टिलाइजेशन) का एक सस्ता और प्रभावी विकल्प खोज निकाला है! महाराज जी से विनम्र अनुरोध है कि वे इस ‘सिद्धि’ का डेमो दें! ताकि आधुनिक विज्ञान को पता चल सके कि डीएनए और आरएनए के बीच मंत्र और सिद्धि कैसे काम करते हैं!”

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने नवभारत टाइम्‍स के नाम पर वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया। कीवर्ड से सर्च करने पर हमें इससे जुड़ी कोई खबर नहीं मिली। हालांकि, नवभारत टाइम्‍स ने वायरल पोस्‍ट का खंडन करते हुए एक खबर जरूर प्रकाशित की।

13 दिसंबर 2025 की इस खबर में वायरल पोस्‍ट को फर्जी बताया गया। इसमें लिखा गया कि रामभद्राचार्य के नाम पर शेयर किया गया यह विवाद‍ित बयान पूरी तरह से गलत है। असली बयान में उन्‍होंने कुछ और कहा है। पूरी खबर यहां पढ़ें।

 सर्च के दौरान हमें नवभारत टाइम्‍स के एक्‍स हैंडल पर भी एक पोस्‍ट मिली। 12 दिसंबर की इस पोस्‍ट में लिखा गया, “पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर NBT के नाम से कई पोस्ट वायरल हो रही हैं और उन फ़र्ज़ी पोस्ट के जरिये भ्रामक संदेश फैलाए जा रहे हैं। इस पोस्ट में चार तस्वीरें लगी हैं, जिनमें से दो फेक हैं और दो असली हैं । NBT की किसी भी खबर की सत्यता जांचने के लिए केवल NBT के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर ही भरोसा करें।”

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए नवभारत टाइम्‍स डिजिटल के संपादक अखिलेश श्रीवास्‍तव से संपर्क किया। उन्‍होंने वायरल पोस्‍ट को फर्जी बताते हुए कहा कि हमने अपने सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्‍ट का खंडन कर दिया है। नवभारत टाइम्‍स के नाम पर पर वायरल हो रहीं ऐसी पोस्‍ट फर्जी हैं।

पड़ताल के अंतिम चरण में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला फेसबुक यूजर विष्‍णु यादव को बीस हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्‍कर्ष : रामभद्राचार्य के नाम पर वायरल हो रहा बयान फेक साबित हुआ। नवभारत टाइम्‍स के पोस्‍टकार्ड का गलत इस्‍तेमाल करते हुए वायरल पोस्‍ट तैयार की गई। रामभद्राचार्य ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया।

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