नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कुछ लोगों को सुरक्षाबलों के जवानों के साथ बदसलूकी करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में नजर आ रहा है कि सुरक्षाकर्मी बिना किसी प्रतिक्रिया के अपने रास्ते पर आगे बढ़ते जा रहे हैं, जबकि कुछ युवक उनके आसपास खड़े होकर आपत्तिजनक व्यवहार कर रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है और यूजर इसे शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह वीडियो साल 2014 से पहले का है, जब सेना के जवानों के साथ कश्मीर में इस तरह का दुर्व्यवहार हुआ था।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह वीडियो 2014 से पहले का नहीं, बल्कि साल 2017 का है, जिसमें कुछ युवकों ने जवानों को घेरकर अभद्र व्यवहार किया था। बाद में इस मामले में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
क्या है वायरल पोस्ट में?
इंस्टाग्राम यूजर ‘sahuvinod3456789’ ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, “अब ऐसा कर के दिखाओ। पिंजडे मे बंद शेर को जैसे बाहर से लोग पत्थर मारते थे, वह कुछ नही कर पाता था। 2014 के पहले ये हालात थे हमारी सेना के, शर्म आनी चाहिए चमचों को क्या हालत कर दी थी वोट की राजनीति ने सेना की।”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिए वायरल वायरल को सर्च किया। सर्च करने पर हमें यह वीडियो आजतक के यूट्यूब चैनल पर 12 अप्रैल 2017 को अपलोड किया हुआ मिला। दी गई जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षा बल के जवान के साथ हुए अभद्र व्यवहार का एक वीडियो वायरल हो रहा है। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है और सेना व पत्थरबाजों के बीच झड़पें हो रही हैं।
इसी कड़ी में न्यूज सर्च किए जाने पर हमें 14 अप्रैल 2017 की दैनिक जागरण की खबर मिली। खबर में बताया गया, “सीआरपीएफ के जवानों के साथ बदसलूकी के इस मामले में गुरुवार को सीआरपीएफ की शिकायत पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। वीडियो में कुछ युवक जवान को पीटते नजर आ रहे थे। यह घटना 9 अप्रैल को श्रीनगर में हुए लोकसभा उपचुनाव के दौरान हुई थी। इस पूरे प्रकरण में सीआरपीएफ के आईजी रविदीप सिंह ने श्रीनगर में बताया कि जांच के दौरान हमने वीडियो असली पाया। हमने फोर्स की इस कंपनी और उसकी लोकेशन पहचान कर ली है। उन्होंने बताया कि यह घटना बड़गाम जिले की चदूरा विधानसभा के क्रालपोरा इलाके की है। सिंह ने कहा कि हमने सभी सबूत जुटाकर अधिकारिक रूप से चदूरा पुलिस को इसकी जानकारी दे दी है।”
वहीं, इसी मामले हमें 14 अप्रैल 2017 की टाइम्स ऑफ इंडिया डॉट इंडिया टाइम्स की वेबसाइट पर भी छपी खबर मिली। खबर के अनुसार, “श्रीनगर में उपचुनाव के दौरान सीआरपीएफ जवानों के साथ हुई बदसलूकी के मामले में शुक्रवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक, यह घटना बडगाम जिले में हुई, जहां चुनाव के दिन आठ में से सात प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। वीडियो में कुछ युवक सीआरपीएफ जवानों को सड़क पर घेरकर धक्का-मुक्की और मारपीट करते दिखे। सीआरपीएफ ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि पुलिस और चुनावकर्मी मतदान केंद्र पहले ही छोड़कर चले गए थे।”
वायरल वीडियो से जुड़ी पुष्टि के लिए हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण में जम्मू-कश्मीर के ब्यूरो चीफ नवीन नवाज से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, यह घटना 2017 में कश्मीर के बड़गाम जिले में हुई थी। उस वक्त इस मामले से जुड़ा वायरल भी हुआ था।
अब बारी थी भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले इंस्टाग्राम यूजर sahuvinod3456789 की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर को 612 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह वीडियो साल 2017 का है। पुराने वीडियो को भ्रामक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
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