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Fact Check: RSS के नागपुर में निकाले गए मार्च के वीडियो को भ्रामक दावे से किया जा रहा शेयर

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मार्च का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि अनुमति न मिलने के बावजूद आरएसएस के स्वयंसेवकों ने कर्नाटक के सेदम में पथ संचलन आयोजित किया।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। वायरल वीडियो करीब छह महीने पुराना है और महाराष्ट्र का है। पुराने वीडियो को सोशल मीडिया यूजर्स भ्रामक दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। हालांकि, सरकार की अनुमति के बिना आरएसएस के स्वयंसेवकों ने कर्नाटक के सेदम में मार्च निकाला था। इसके बाद पुलिस ने उन पर कार्रवाई भी की थी।

क्या हो रहा है वायरल?

फेसबुक यूजर ‘राजू सिंह भाई जी’ ने 20 अक्टूबर 2025 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “कर्नाटक के Sedam में 1,500 RSS स्वयंसेवकों ने अनुमति नहीं मिलने के बावजूद पथ संचलन आयोजित किया। जय मां भारती।” 

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने उसके कई कीफ्रेम निकाले और उन्हें गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। हमें वायरल वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट ‘Jai Maharashtra News’ नाम के यूट्यूब चैनल पर मिली। वीडियो को 25 मई 2025 को शेयर किया गया था। मराठी भाषा में मौजूद जानकारी के मुताबिक, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग का संचालन किया। यह संचालन शहर के मुख्य चौक से किया गया। इसमें शामिल होने के लिए देश भर से छात्र पहुंचे। इस 25 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 840 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।” 

प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। हमें वायरल वीडियो न्यूज एजेंसी एएनआई के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर मिला। वीडियो को 25 मई 2025 को शेयर किया गया था। यहां पर इस वीडियो को नागपुर में निकाले गए ‘पथ संचलन’ मार्च का बताया गया है।

पड़ताल के दौरान हमें वायरल वीडियो से जुड़ी कुछ तस्वीर ‘Friends of RSS’ के एक्स अकाउंट पर मिली। यह अकाउंट आरएसएस के एक स्वयंसेवक का है। अकाउंट पर तस्वीरों को 26 मई 2025 को शेयर किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, नागपुर में 25 दिवसीय आरएसएस कैडर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। पूरे भारत से करीब 840  स्वयंसेवक इसमें शामिल होने के लिए पहुंचे।

वीडियो पर गौर करने पर हमने पाया कि दुकानों पर ‘माफिया’ और ‘हिटलर’ नाम लिखा हुआ है। गूगल मैप की मदद से हमने इसके बारे में सर्च किया। हमें हूबहू लोकेशन की तस्वीरें मिली। वायरल वीडियो में दिखा रही जगह नागपुर का तिरंगा चौक है।

द हिंदू की वेबसाइट पर 19 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के अनुमति न देने के बाद भी आरएसएस ने कर्नाटक के सेदम में मार्च निकाला था। इसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था।

अन्य न्यूज रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए हमने महाराष्ट्र के मिड-डे के सीनियर रिपोर्टर समीउल्लाह खान से संपर्क किया। उन्होंने वीडियो को नागपुर का और पुराना बताया है।

अंत में हमने वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 23 हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि आरएसएस के मार्च के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। वायरल वीडियो करीब छह महीने पुराना है और महाराष्ट्र का है। पुराने वीडियो को सोशल मीडिया यूजर्स भ्रामक दावे के साथ शेयर कर रहे हैं। हालांकि, सरकार की अनुमति के बिना आरएसएस के स्वयंसेवकों ने कर्नाटक के सेदम में मार्च निकाला था। इसके बाद पुलिस ने उन पर कार्रवाई भी की थी।

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