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Fact Check : अंटार्कटिका में प्राचीन स्पेसशिप मिलने का दावा फर्जी, एआई क्रिएटेड हैं ये वायरल तस्वीरें 

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर स्पेसशिप की कुछ तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं। तस्वीरों को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसकी खोज की है। यह प्राचीन स्पेसशिप अंटार्कटिका में पाई गई है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल तस्वीरें असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की एआई टूल्स की मदद से बनाई गई है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ने ‘भगवा धारी प्रमोद सुधारक’ ने वायरल तस्वीरों को 30 जनवरी 2025 को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “आज की ताजा खबर अंटार्कटिका में स्मारकीय खोज से प्राचीन रहस्यों का पता चलता है जो हमें अवाक कर देते है ..भारतीय पुरातत्वविदों ने कुछ अविश्वसनीय चीज़ का पता लगाया है: पृथ्वी पर प्राचीन अंतरिक्ष यान। हाल ही में, इंटरनेट पर एक जानकारी सामने आई जिसने उपयोगकर्ताओं और विशेषज्ञों के बीच तीखी बहस और चर्चा छेड़ दी। यह भारत में एक रोमांचक खोज की कहानी है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह मानव इतिहास और इसकी प्राचीन प्रौद्योगिकियों की समझ में क्रांति ला सकती है। लेख के साथ चौंकाने वाले चित्रों की एक शृंखला है जो कथित तौर पर एक भारतीय गांव में खोजे गए “पृथ्वीवासियों के प्राचीन अंतरिक्ष यान” को दर्शाती है।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। लेकिन हमें दावे से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली। हमने भारतीय पुरातत्व विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस बारे में सर्च किया,लेकिन हमें दावे से जुड़ी कोई जानकारी वहां पर नहीं मिली। 

सोशल मीडिया पर बीते काफी समय से एलियन और स्पेसशिप को लेकर कई एआई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। ऐसे में हमें फोटो के एआई होने का संदेह हुआ। हमने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए फोटो को एआई की मदद से बने मल्टीमीडिया की जांच करने वाले टूल्स की मदद से सर्च किया। 

हमने सबसे पहले हाइव मॉडरेशन टूल की मदद से तस्वीरों को सर्च किया। इस टूल ने फोटो के 90 फीसदी तक एआई जेनरेटेड होने की संभावना बताई। 

हमने एक अन्य टूल एआई साइट इंजन के जरिए फोटो को सर्च किया। टूल ने फोटो को 99 फीसदी तक एआई जेनरेटेड होने की संभावना जताई। 

तीसरे एआई टूल का इस्तेमाल करते हुए हमने डी कॉपी से भी इस फोटो को सर्च किया। इस टूल ने तस्वीर को 91 फीसदी तक एआई की मदद से बनाया हुआ बताया।

हमने वायरल तस्वीरों को लेकर एआई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे एआई एक्सपर्ट अंश मेहरा से बातचीत की। उन्होंने तस्वीरों को एआई टूल्स से बने होने की संभवना जताई। उनका कहना है कि आजकल कई ऐसे टूल्स मौजूद हैं, जिनकी मदद से इस तरह की तस्वीरों को आसानी से बनाया जा सकता है।

अंत में हमने वायरल तस्वीरों को गलत दावों के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को करीब सात हजार लोग फॉलो करते हैं। यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि स्पेसशिप की वायरल तस्वीरों को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल तस्वीरें असली नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की एआई टूल्स की मदद से बनाई गई है।मनगढ़ंत कहानी के साथ एआई तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है।

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