नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। शादियों के सीजन में साइबर अपराधी फ्रॉड के लिए शादी के कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह जानकर चौंकना लाजिमी है, लेकिन बिहार के कटिहार में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं। वहां 10 दिन में आठ लोगों से करीब 11 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया था। ये सारी ठगी शादी का कार्ड डाउनलोड करने से हुई।
दरअसल, साइबर अपराधी शादी के कार्ड के नाम से एपीके फाइल (एंड्रॉइड पैकेज किट) भेजते हैं, जिन्हें डाउनलोड करते ही मैलवेयर इंस्टॉल हो जाता है और इसके बाद फोन हैक होते ही बैंक अकाउंट खाली हो जाता है। यह एपीके फाइल शादी के कार्ड के अलावा सरकारी योजनाओं या फ्री रिचार्ज के नाम पर भी भेजी जाती है।
तेलंगाना में इस साल करीब 4100 केस
‘द हिंदू’ में 14 नवंबर को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन पर एपीके फाइल पर क्लिक करने से तेलंगाना के लोगों को 10 माह में 40 करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है। राज्य में इस तरह से ठगी के 2024 में अब तक करीब 4100 केस सामने आ चुके हैं। ठगों को बिना ओटीपी शेयर किए लोगों के खातों से लाखों रुपये निकल चुके हैं।
केस स्टडी
ग्वालियर में ठगों ने पीएम विकास योजना की एपीके फाइलों के जरिए पांच अधिकारियों को फंसाया। प्रशासनिक अधिकारियों के ग्रुप में एपीके फाइल पोस्ट हुई। फाइल डाउनलोड करने से भितरवार के तहसीलदार का मोबाइल हैक हो गया और उनके अकाउंट से 65 हजार रुपये निकल गए। बाद में यह फाइल उनके मोबाइल से दूसरे ग्रुपों में पोस्ट हुईं। इसके बाद अन्य अधिकारियों के मोबाइल हैक हो गए।
हैदराबाद के एक शख्स के पास फोन आया। फोन करने वाले ने क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के लिए उसकी निजी जानकारी मांगी। एप्लीकेशन प्रोसेसिंग प्रोटोकॉल के बहाने ठग ने यूजर को वॉट्सऐप के जरिए एपीके फाइल भेजी, जिसे इंस्टॉल करने के लिए कहा गया। फोन में फाइल इंस्टॉल होने के बाद पीड़ित के खाते से 1 लाख 18 रुपये निकल गए।
एपीके फाइल क्या होती है?
एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम एपीके फाइल के जरिए मोबाइल ऐप्स या मैलवेयर को भेजता या इंस्टॉल करता है। एसपी रतलाम के एक्स हैंडल से भी इसके बारे में बताया गया है। इससे ठगों के तरीकों को समझा जा सकता है।
– शादी के निमंत्रण या पीएम आवास योजना या पीएम किसान योजना के नाम से एपीके फाइल भेजी जा रही हैं।
– इस फाइल को ओपन करते ही यह सिस्टम में अपने आप इंस्टॉल हो जाती है।
– इससे मोबाइल को एक्सेस हैकर के हाथ में चला जाता है।
– इसके बाद हैकर्स मोबाइल पर आए संदेशों को पढ़ सकते हैं। इससे ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी भी अपराधियों के हाथ लग जाती है।
– हैकर यूजर के बैंक अकाउंट से रुपये निकाल सकते हैं।
– यूजर के मोबाइल के जरिए इस एपीके फाइल को यूजर के कॉन्टैक्ट्स या अन्य ग्रुपों में भेजी जा सकती है, जिससे अन्य लोगों को शिकार बनाया जा सकता है।
आरबीएल बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, साइबर अपराधी यूजर्स को APK फाइलें डाउनलोड करने और इंस्टॉल करने के लिए सोशल इंजीनियरिंग रणनीति का उपयोग करते हैं।
– ठग अक्सर ईमेल, सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप पर बैंक प्रतिनिधि या कस्टमर सपोर्ट एजेंट बनकर यूजर से बात करते हैं। वे यूजर्स को APK फाइल डाउनलोड करने के लिए मनाते हैं।
– जब यूजर APK फाइल इंस्टॉल करता है तो कैमरा, माइक्रोफोन, लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स और एसएमएस के एक्सेस की अनुमति मांगता है।
– यूजर के इंस्टॉल करते ही उसकी संवेदनशील जानकारी हैकर के पास जाने लगती है।
मोबाइल को अपडेट करते रहें
इस ठगी से बचने के लिए अज्ञात सोर्स से आए किसी भी मैसेज या लिंक पर क्लिक मत करें। सिस्टम को समय-समय पर अपडेट करते रहे और रिबूट करते रहें। मोबाइल में एंटीवायरस को इंस्टॉल करें और नियमित तौर पर उसे अपडेट करते रहें।
यहां करें शिकायत
इस तरह की ठगी होने पर 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर शिकायत करें। इसके लिए नजदीकी साइबर सेल में भी शिकायत दी जा सकती है।
एक्सपर्ट की राय
पूर्व आईपीएस एवं साइबर एक्सपर्ट डॉ. त्रिवेणी सिंह का कहना है कि शादी का कार्ड या किसी अन्य सरकारी योजना के नाम पर एपीके फाइल को भेजा जाता है। इसे ओपन करते ही मैलवेयर खुद-ब-खुद इंस्टॉल हो जाता है। उसके बाद वह मोबाइल पर आने वाले ओटीपी को पढ़कर बैंक अकाउंट से पैसे निकाल सकता है। इससे बचने के लिए मोबाइल में मौजूद ऐसे ऐप्स को हटा दें, जो आपने डाउनलोड नहीं किए हों। सिस्टम को फॉर्मेट भी किया जा सकता है।
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