नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक आतंकवादी की गिरफ्तारी का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद एक हिंदू आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वीडियो का पहलगाम हमले से कोई संबंध नहीं है। वीडियो करीब आठ साल पुराना है, जिसे अब दुष्प्रचार की मंशा से पहलगाम हमले से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।
क्या हो रहा है वायरल ?
फेसबुक यूजर ‘बारिश पठान’ ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “ब्रेकिंग न्यूज…..कश्मीर के पहलगांव पहला ब्राम्हण आतंकवादी #संदीप_शर्मा ,,चढ़ा पुलिस के हत्थे।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल
वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को स्कैन किया। हमने पाया कि वीडियो पर पुराना एबीपी न्यूज का लोगो लगा हुआ है। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने एबीपी न्यूज के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को खंगालना शुरू किया। हमें वीडियो का लंबा वर्जन 17 जुलाई 2017 को अपलोड हुआ मिला। मौजूद जानकारी के मुताबिक, वीडियो साल 2017 में अनंतनाग में हुई गिरफ्तारी का है।
दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 13 जुलाई 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार आतंकी संदीप शर्मा उर्फ आदिल ने स्वीकार किया है कि उसको ट्रेनिंग लश्कर-ए तैयबा के कैंप में मिली थी।वह लश्कर के साथ उनके वाहन ड्राइविंग का कार्य भी करता था। संदीप शर्मा ने जम्मू-कश्मीर में तीन घटनाओं को अंजाम देने की बात स्वीकारी थी। संदीप ने तीन जून 2017 को काजीगुंड मे आर्मी की यूनिट के ऊपर हमला, दूसरा 13 जून 2017 को अनंतनाग से जस्टिस निवास गार्ड पोस्ट से हथियार लूटने की घटना के साथ ही तीसरा 16 जून 2017 को पुलिस पार्टी के ऊपर अच्छबाल मे हुए हमले में वाहन चलाना तथा फायरिंग करने में अपनी संलिप्तता स्वीकार किया था।”

न्यूज़18 और जनसत्ता की वेबसाइट पर 14 जुलाई 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आदिल उर्फ संदीप शर्मा का कहना था कि रिटायर पुलिस इंस्पेक्टर के बेटी के प्यार में उसने पहले धर्म परिवर्तन किया और फिर आतंकी बना। लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे गलत बताया था।

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण, जम्मू- कश्मीर के ब्यूरो चीफ नवीन नवाज से संपर्क किया। उन्होंने इसे आठ साल पहले हुई गिरफ्तारी का बताया है।
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है। यूजर को 5 हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि आतंकवादी की गिरफ्तारी के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वीडियो का पहलगाम हमले से कोई संबंध नहीं है। वीडियो करीब आठ साल पुराना है, जिसे अब दुष्प्रचार की मंशा से पहलगाम हमले से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।
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