नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। 2024 में भारत में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए। लोकसभा चुनाव 24 कुल सात चरणों में संपन्न हुआ, जिसके नतीजे चार जून को आए। इसके बाद आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा के चुनाव हुए। साल के अंत में झारखंड और महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ, जिसके नतीजे 23 नवंबर को आए।
समग्र तौर पर देखा जाए तो 2024 भारत के लिए चुनावी वर्ष रहा और इस दौरान मिस-इन्फॉर्मेशन के ट्रेंड्स में अधिकता चुनावी दावों की रही। 2024 की शुरुआत में जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ‘द ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट‘ में भारत समेत अन्य बड़े लोकतांत्रिक देशों में होने वाले चुनाव के संदर्भ में मिस-इन्फॉर्मेशन के खतरे के अंदेशे को जाहिर किया गया था, जो नव-निर्वाचित सरकार की वैधता को प्रभावित कर सकते थे।
रिपोर्ट में दुनिया को शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में प्रभावित करने वाले वैश्विक जोखिमों का जिक्र है और इन जोखिमों का वर्गीकरण मौजूदा जोखिम परिदृश्य के तौर पर किया गया है। पांच जोखिम श्रेणियों आर्थिक, पर्यावरणीय, भू-राजनीतिक, सामाजिक और तकनीकी के आधार पर पांच जोखिम परिदृश्य का जिक्र किया गया है, जिसमें पहली श्रेणी एक्स्ट्रीम वेदर, दूसरी श्रेणी एआई जेनरेटेड मिस-इन्फॉर्मेशन एंड डिस-इन्फॉर्मेशन, सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण, जीवनयापन लागत संकट और साइबर अटैक है। रिपोर्ट के मुताबिक,ये पांच जोखिम 2024 में विश्व को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
इन्हीं के आधार पर शॉर्ट टर्म (दो साल की अवधि) और लॉन्ग टर्म (10 सालों की अवधि) में इनके प्रभावों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, शॉर्ट टर्म यानी दो साल की अवधि में सर्वाधिक गंभीर खतरा मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन से होगा। वहीं, लॉन्ग टर्म यानी 10 सालों की अवधि में भी इसका खतरा बरकरार रहेगा।
2024 के मिस-इन्फॉर्मेशन ट्रेंड्स
वर्ष 2024 के दौरान मिस-इन्फॉर्मेशन का ट्रेंड्स घरेलू तौर पर जहां राजनीतिक मामले में चुनाव से प्रभावित रहा है, वहीं आर्थिक मामलों में प्रमुख ट्रेंड्स स्कैम का रहा। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई आधारित मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन के मामलों में भी उछाल देखा गया, जिसका दायरे में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र शामिल रहा।
विश्वास न्यूज ने साल 2024 के दौरान हिंदी, अंग्रेजी समेत कुल 12 भाषाओं में 3242 फैक्ट चेक को प्रकाशित किया, जिसमें हिंदी फैक्ट चेक आर्टिकल की संख्या 1994 रही। वहीं, अंग्रेजी में कुल प्रकाशित फैक्ट चेक की संख्या 232 रही।
घरेलू ट्रेंड्स
2024 के दौरान विश्वास न्यूज ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव समेत राजनीतिक मिस-इन्फॉर्मेशन की जांच से संबंधित कुल 1,453 रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया।
राजनीतिक श्रेणी में लोकसभा और विधानसभा चुनावों से संबंधित वायरल दावों की जांच करती रिपोर्ट्स की संख्या करीब 250 रही। फैक्ट चेक रिपोर्ट्स के ट्रेंड्स को देखा जाए तो सर्वाधिक दावे टेक्स्ट, इमेज और वीडियो के रूप में सर्कुलेट हुआ।
लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वाधिक चर्चित मिस-इन्फॉर्मेशन का मामला गृह मंत्री अमित शाह का एडिटेड वीडियो क्लिप रहा, जिसे लेकर दावा किया गया है कि उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनेगी तो एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को खत्म कर देंगे। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वहीं महाराष्ट्र चुनाव के दौरान डीपफेक का सबसे बड़ा मामला सुप्रिया सुले का फेक ऑडियो टेप रहा, जिसके जरिए बिटकॉइन की कथित हेराफेरी की मदद से महाराष्ट्र चुनाव की फंडिंग का प्रबंधन करने का आरोप लगा। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस इस कड़ी में वायरल चारों टेप को एआई क्रिएटेड पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां देखा जा सकता है।
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद एक और बड़ा दावा मतदान से ज्यादा काउंटिंग का था, जो हमारी जांच में फेक निकला। वहीं, ईवीएम छेड़छाड़ से जुड़े दावों को भी शेयर किया गया, जो वास्तव में चुनाव अधिकारियों की सामान्य ड्यूटी से संबंधित था।
विधानसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर “चैलेंज वोट” के जरिए मतदान करने का दावा फिर से वायरल हुआ, जिसमें यह बताया गया है कि मतदान पहचान पत्र नहीं होने के बावजूद कोई व्यक्ति वोट कैसे डाल सकता है। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
इसके अलावा अमित शाह, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, योगी आदित्यनाथ, असदुद्दीन ओवैसी, प्रियंका गांधी बड़े नेताओं को निशाना बनाते हुए भी चुनावी मिस-इन्फॉर्मेशन के दावों को शेयर किया गया।
वोटों की हेराफेरी और ईवीएम छेड़छाड़ से संबंधित ट्रेंड्स मुख्यतया महाराष्ट्र चुनाव के दौरान और उसके बाद शेयर किया गया। लोकसभा चुनाव और अन्य विधानसभा चुनाव से संबंधित सोशल मीडिया पर वायरल हुए प्रमुख दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के पॉलिटिक्स और चुनाव सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड्स
दुनिया श्रेणी में विश्वास न्यूज ने कुल 183 फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया। 2024 में इस श्रेणी बांग्लादेश में हुई राजनीतिक उठापटक और उसके बाद जारी अस्थिरता के हालात में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा से जोड़कर भ्रामक और फेक दावे किए।
हिंसा की शुरुआत में बांग्लादेश में भारतीय सेना की मौजूदगी और निर्वासित प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की कोर मीटिंग में भारतीय उच्चायुक्त की मौजूदगी का फेक दावा शेयर किया गया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां और यहां देखा जा सकता है।
इसके अलावा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा के संदर्भ में कई फेक और भ्रामक दावों को शेयर किया गया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां देखा जा सकता है।
बांग्लादेशी संकट के दौरान एआई क्रिएटेड मल्टीमीडिया का भी इस्तेमाल किया गया है, जिसमें दो प्रमुख दावों का जिक्र जरूरी है। पहला दावा बांग्लादेश में हुई प्रदर्शन से संबंधित है, जिसकी ‘व्यापकता’ और ‘लोकप्रियता’ को दर्शाने के लिए एआई की मदद से बने विरोध प्रदर्शन की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया।
वहीं, दूसरा मामला बांग्लादेश में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान से जुड़ा है। न्यूज रिपोर्ट्स बांग्लादेश में ऐसी कई घटनाओं की पुष्टि करती हैं, जहां भारत के राष्ट्रीय ध्वज की अपमान की घटनाएं सामने आईं, लेकिन इस संदर्भ में कुछ ऐसी भी तस्वीरें साझा हुईं, जो वास्तविक नहीं, बल्कि एआई क्रिएटेड थी।
सात अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर आतंकी हमला किया था, जिसके बाद गाजा पट्टी में इजरायल की कार्रवाई जारी है और 2024 में सोशल मीडिया पर इससे संबंधित दावों की भरमार रही। इजरायल-हमास युद्ध से संबंधित वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।इस युद्ध में भी एआई क्रिएटेड मल्टीमीडिया का इस्तेमाल कर फेक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हुई।
बिजनेस और फाइनेंस
वर्ष 2024 के दौरान विश्वास न्यूज ने बिजनेस और फाइनेंस से संबंधित करीब 40 दावों की जांच की, जिसमें महत्वपूर्ण ट्रेंड्स इनकम टैक्स और टैक्स फाइलिंग, नोटबंदी के बाद जारी नई सीरीज के नोटों, जीएसटी से जुड़े भ्रामक व फेक दावे थे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह दावा किया गया कि वरिष्ठ नागरिकों को इनकम टैक्स से पूरी तरह से छूट मिलेगी, जो हमारी जांच में फेक निकला।
नोटों से जुड़े दावे में नोटबंदी के बाद महात्मा गांधी सीरीज के जारी स्टार चिह्न वाले नोटों के फेक होने से संबंधित था, जो हमारी जांच में फेक निकला।
इसके अलाव इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म्स को प्रोमोट करता मुकेश अंबानी व अनंत अंबानी, सुंदर पिचाई और एलन मस्क के डीपफेक वीडियो भी ट्रेंड्स में रहे, जिनकी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां, यहां, यहां और यहां पढ़ा जा सकता है।
इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक ऑल्टर्ड वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्हें ‘गोपनीय सूचना टैक्स’ कहते हुए जीएसटी की आलोचना करते हुए सुना गया। हमने अपनी जांच में इस दावे को फेक पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां देखा जा सकता है।
आर्थिक मामलों से संबंधित सोशल मीडिया पर वारल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के बिजनेस सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
डीपफेक
पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी एआई क्रिएटेड मिस-इन्फॉर्मेशंस मुख्य ट्रेंड्स में शुमार रहा। इस वर्ष डीपफेक का दायरा केवल राजनीतिक क्षेत्र और राजनीतिक दुष्प्रचार के मामलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और मनोरंजन जगत भी इसके दायरे में शामिल रहे।
एआई से संबंधित मुख्य तीन तरह के ट्रेंड्स नजर आए:
1. राजनीतिक दुष्प्रचार के लिए डीपफेक ऑडियो या वीडियो
इसमें मुख्य तौर पर नेताओं के डीपफेक वीडियो को चुनाव पूर्व और चुनाव कै दौरान सर्कुलेट किया गया, जिसमें महाराष्ट्र चुनाव के दौरान सुप्रिया सुले का डीपफेक मल्टीमीडिया प्रमुख मामला रहा है।
2. फाइनेंशियल मिस-इन्फॉर्मेशन
इस श्रेणी में मुख्यता असाधारण रिटर्न के आश्वासन के साथ इन्वेस्टेमेंट प्लेटफॉर्म्स का प्रोमोशन शामिल था, जिसके लिए बड़े कॉरपोरेट लीडर्स मसलन मुकेश अंबानी, अनंत अंबानी, सुंदर पिचाई, एलन मस्क की आवाज वाले सिंथेटिक ऑडियो का इस्तेमाल किया गया।
3. हेल्थ मिस-इन्फॉर्मेशन
इस श्रेणी में डायबिटीज या अन्य बीमारियों के इलाज के लिए मशहूर हस्तियों या संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों के सिंथेटिक ऑडियो का इस्तेमाल किया गया।
इस श्रेणी में वायरल हुए एक प्रमुख दावा, आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से सीएम हाउस में हुई कथित पिटाई के बाद वायरल ऑडियो से जुड़ा हुआ था। दावा किया गया कि ऑडियो स्वाति और यूट्यूबर ध्रुव राठी के बीच बातचीत का था। इसमें स्वाति के नाम से यह कहते हुए सुना गया था कि सुनीता केजरीवाल के कहने पर उनकी पिटाई की गई। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस ऑडियो को फेक पाया, जिसे एआई टूल्स की मदद से तैयार किया गया था।
इन तीनों श्रेणियों में वायरल हुए दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के एआई चेक सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
स्कैम
इस श्रेणी में विश्वास न्यूज ने 2024 के दौरान कुल 73 फैक्ट चेक आर्टिकल प्रकाशित किए, जो मुख्य रूप से फेक या फिशिंग लिंक के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी या क्लिक बेट हेडलाइंस के जरिए डेटा जुटाने की मंशा से वायरल किए गए थे।
इससे श्रेणी से संबंधित वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की स्कैम कैटेगरी में पढ़ा जा सकता है।
दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी फेक न्यूज से निपटने के लिए किसी विशेष कानून या नियमन की मौजूदगी नहीं है, लेकिन फेक न्यूज और मिस-इन्फॉर्मेशन से संबंधित मामलों में कानूनी कार्रवाई के लिए आईपीसी (अब भारतीय न्याय संहिता/BNS) और आईटी एक्ट की कई सुसंगत धाराओं का इस्तेमाल किया जाता है।
बीएनएस (पू्र्व में आईपीसी) की धाराओं के साथ आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67, 69 और 79 और आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 की धारा 54 और डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 (जिसे अभी तक लागू नहीं किया गया है) में ऐसे कई प्रावधानों को सुनिश्चित किया गया है, जिसके तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर व्यक्तियों के डेटा के दुरुपयोग के मामलों में कार्रवाई की जा सकती है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, फॉल्स/फेक न्यूज/अफवाह फैलाए जाने से संबंधित मामलों को आईपीसी की धारा 505 के तहत किया गया है। रिपोर्ट “क्राइम इन इंडिया” के मुताबिक, 2022 में फेक न्यूज फैलाए जाने के खिलाफ कुल 858 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले दो वर्षों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से कम है। 2020 में ऐसे कुल 1527 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में ऐसे कुल 882 मामले दर्ज किए गए थे।
राज्यवार देखें तो फेक न्यूज से संबंधित सर्वाधिक मामले तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। तेलंगाना में जहां 264 मामले, वहीं उत्तर प्रदेश में 147 और मध्य प्रदेश में 84 मामले दर्ज किए गए।
पिछले वर्ष के मुकाबले अगर तुलनात्मक रूप से देखें तो इन तीन राज्यों में क्रमश: 218, 82 और 129 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले वर्ष तमिलनाडु में जहां 137 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2022 में 77 मामले दर्ज किए गए।
पिछले साल 2023 की मिस-इन्फॉर्मेश ट्रेंड्स की एनालिसिस रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है। 2023 में वैश्विक स्तर पर इजरायल-हमास संघर्ष तो राष्ट्रीय स्तर पर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव, डीप फेक के मामले, क्रिकेट वर्ल्ड कप, क्षेत्रीय स्तर पर मणिपुर व नूंह हिंसा ने सोशल मीडिया ट्रेंड्स को प्रभावित किया। 2023 में विश्वास न्यूज ने हिंदी, अंग्रेजी समेत कुल 12 भाषाओं में तीन हजार से अधिक फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को प्रकाशित किया था।
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