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Fact Check: चीनी का सेवन बंद करने और गर्म नींबू-पानी व नारियल तेल पीने से सही नहीं होता है कैंसर

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। कैंसर के इलाज को लेकर सोशल मीडिया पर फिर से एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इसमें एक तस्‍वीर के साथ कथित डॉ. गुप्‍ता के हवाले से दावा किया जा रहा है कि शुगर का सेवन बंद करने और गर्म नींबू-पानी व ऑर्गेनिक नारियल तेल पीने से कैंसर ठीक हो जाता है। यूजर्स इस पोस्‍ट को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को शेयर करने की अपील भी कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि इन तीनों दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हमने कैंसर विशेषज्ञों से बातचीत की, उन्‍होंने भी इन दावों को गलत बताया। उन्‍होंने इस तरह के अपुष्‍ट दावों पर ध्‍यान नहीं देने की सलाह दी है। वहीं, पोस्‍ट में दी गई तस्‍वीर के बारे में हमें इंटरनेट पर कोई जानकारी नहीं मिली।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट

विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर्स ने इस तस्‍वीर के साथ दावों को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है। इसमें लिखा है,

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है!

डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला कदम चीनी का सेवन बंद करना है। आपके शरीर में चीनी के बिना, कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं।
(2). दूसरा कदम यह है कि एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं और कैंसर खत्म हो जाएगा। मैरीलैंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार, गर्म नींबू पानी कीमोथेरेपी से 1000 गुना बेहतर, मजबूत और सुरक्षित है।
(3). तीसरा कदम है सुबह और रात को 3 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पिएं, कैंसर गायब हो जाएगा, आप चीनी से परहेज सहित अन्य दो उपचारों में से कोई भी चुन सकते हैं।
अज्ञानता एक बहाना नहीं है। मैं यह जानकारी 5 वर्षों से अधिक समय से साझा कर रहा हूं। अपने आस-पास के सभी लोगों को बताएं, कैंसर से मरना किसी के लिए भी अपमान है; जीवन बचाने के लिए व्यापक रूप से साझा करें।

Cancer Cure Myths

फेसबुक यूजर ‘मस्‍त इंडिया‘ (आर्काइव लिंक) ने 29 जुलाई को इस पोस्‍ट को समान दावे के साथ शेयर किया।

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पड़ताल

कैंसर के इलाज को लेकर वायरल दावों की जांच के लिए हमने सबसे पहले दी गई तस्‍वीर के बारे में जानने की कोशिश की। इसके लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिये सर्च किया, लेकिन सर्च में हमें केवल वायरल दावों के साथ ही यह तस्‍वीर मिली।

इसके बाद हमने तीनों दावों को एक-एक करके कीवर्ड से सर्च करना शुरू किया।

पहला दावा

चीनी का सेवन बंद करने से शरीर में कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं।

इस बारे में सर्च करने पर हमें कैंसर डॉट नेट ब्‍लॉग पर 9 नवंबर 2021 को छपी रिपोर्ट मिली। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्‍लीनिकल ऑन्‍कोलॉजी (American Society of Clinical Oncology) के इस ब्‍लॉग के अनुसार, “लोगों पर किए गए किसी भी अध्ययन से यह नहीं पता चला है कि चीनी का सेवन कम करने से कैंसर से बचाव होता है या उसका इलाज होता है। इसके अलावा किसी भी अध्ययन से यह भी नहीं पता चला है कि बहुत अधिक चीनी खाने से कैंसर होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो चीनी और कैंसर के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।”

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इस बारे में हमने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सर्जिकल ऑन्‍कोलॉजी के हेड डॉ. मनोज पांडे से बात की। उनका कहना है, “जो भी खाते हैं, शरीर का सिस्‍टम उससे शुगर बना लेता है। चाहे प्रोटीन खाएं, फैटी एसिड खाएं या वसा खाएं। सिस्‍टम उसे शुगर में तब्‍दील कर देगा। ब्रेन को भी एक्टिवटी के लिए शुगर चाहिए। अगर बाहर से शुगर नहीं लेंगे तो सिस्‍टम खुद-ब-खुद इसे बना लेगा, तो ऐसा नहीं है कि अगर बाहर से शुगर लेना बंद कर देते हैं तो शरीर में यह बनना बंद हो जाएगी। हां, कैंसर सेल को शुगर की जरूरत होती है, लेकिन चीनी बंद कर देने से कैंसर सेल नहीं मरते। मानव शरीर अपने आप शुगर बनाता है, इस प्रॉसेस को ग्यूकोनियोजेनेसिस (Gluconeogenesis) कहते हैं।

इस बारे में हमने गाजियाबाद के वैशाली में स्थित मैक्‍स के कैंसर स्‍पेशलिस्‍ट डॉ. रोहित कपूर से भी बात की। उन्‍होंने कहा, “शुगर बंद करने से कैंसर खत्‍म होने का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। अभी तक ऐसा कुछ भी साबित नहीं हो सका है, जिससे कहा जा सके कि चीनी बंद करने से कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं।

इससे पहले जब इस तरह का दावा वायरल हुआ था, तब विश्‍वास न्‍यूज ने इंद्रपस्‍थ अपोलो अस्‍पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष सिंघल से बात की थी। उनका कहना था, “यदि कैंसर के लिए चीनी इतनी बुरी है और चीनी को छोड़ना अच्छा हो सकता है, तो मधुमेह के रोगी को कैंसर होने पर क्या होना चाहिए। मधुमेह के रोगी का औसत शुगर सामान्य व्यक्ति की तुलना में बहुत अधिक होता है। ऐसे मरीजों के लिए कैंसर तेजी से अंतिम चरण में पहुंच जाना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है। मुख्य बात यह है कि समझदारी से खाना खाएं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सफेद चीनी सेहत के लिए ठीक नहीं है, इसलिए इसका सेवन सीमित होना चाहिए।

इससे साफ होता है कि चीनी का सेवन बंद करने से कैंसर सही नहीं होता। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

दूसरा दावा

एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं। इससे कैंसर खत्म हो जाएगा।

नेशनल सेंटर फॉर हेल्‍थ एंड रिसर्च की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, “बाल्टीमोर के इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज (या हेल्‍थ साइंसेज इंस्‍टीट्यूट) के हवाले से दावा करते हुए बड़े पैमाने पर ईमेल शेयर की जा रही है। इसमें कहा गया है कि नींबू सभी प्रकार के कैंसर के खिलाफ एक कारगर उपाय है और नींबू कीमोथेरेपी से 10,000 गुना अधिक प्रभावकारी है। हालांकि, बाल्टीमोर संस्थान की वेबसाइट पर ऐसा कोई आर्टिकल नहीं है। ईमेल द्वारा किए गए दावे भी सही नहीं हैं। नींबू सभी प्रकार के कैंसर के खिलाफ कारगर उपाय नहीं है और ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया है जो नींबू की प्रभावशीलता की तुलना कीमोथेरेपी से कर सके। कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि नींबू और अन्य खट्टे फलों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ होते हैं, जिनमें कैंसर से लड़ने के गुण हो सकते हैं, लेकिन इन गुणों का मनुष्यों पर परीक्षण नहीं किया गया है।”

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इस बारे में डॉ. मनोज पांडे का कहना है, “नींबू के पानी में विटामिन सी होता है। इसके अलावा उसमें कुछ नहीं होता। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण या अध्‍ययन भी नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि नींबू पानी पीने से कैंसर ठीक हो जाता है। नींबू पानी जैसी डायट कीटो डायट होती हैं, जो वजन कम करने में प्रयोग की जाती हैं। धारणा है कि मोटापा कैंसर के लिए खतरनाक होता है और इससे यह कहा जा रहा है कि अगर मोटापा नहीं होगा तो कैंसर नहीं होगा। इस आधार पर यह धारणा बनाई जा रही है। अभी तक किसी ने इसको साबित नहीं किया है और न ही यह होने वाला है।

वहीं, डॉ. रोहित कपूर ने कहा, “गर्म नींबू पानी सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जो इस दावे की पुष्टि कर सके।

एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर उसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पीने से कैंसर खत्‍म होने वाला दावा भी गलत निकला। इसका भी कोई साइंटिफिक एविडेंस नहीं है।

तीसरा दावा

सुबह और रात को तीन बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पीने से कैंसर गायब हो जाएगा।

कावेरी हॉस्पिटल के ब्‍लॉग पर 16 दिसंबर 2022 को छपी रिपोर्ट में लिखा है, “अमेरिका के कोलोराडो में नारियल अनुसंधान केंद्र इस अध्ययन में लगा हुआ है कि कैसे नारियल का तेल कैंसर से बचाने में मदद कर सकता है। इसका इस्‍तेमाल वे जानवरों पर कर रहे हैं। इसके तहत कैंसर से प्रभावित सभी जानवरों को एक ही चारा खिलाया जाता था, सिवाय इसमें मिलाए गए तेल के। उन्‍होंने जैतून तेल, सूरजमुखी तेल, रेपसीड तेल और नारियल तेल सहित कुछ तेल आजमाए। शोधकर्ताओं का कहना है कि नारियल तेल खाने वाले जानवरों को छोड़कर सभी जानवरों में कैंसर अगले स्तर तक बढ़ गया। हालांकि, अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च (AICR) ने नारियल तेल को कैंसर के इलाज के रूप में पेश नहीं करने को कहा है। उसके मुताबिक, कैंसर से लड़ने में नारियल की उपयोगिता की अभी पुष्टि नहीं हुई है।”

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टाइम्‍स ऑफ इंडिया में 18 मई 2019 को छपी रिपोर्ट में भी लिखा है, “टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने कहा कि ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि गर्म नारियल पानी से कैंसर खत्‍म हो सकता है।” खबर में गर्म नारियल पानी से कैंसर ठीक होने का दावा झूठा बताया गया है।

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इस बारे में डॉ. मनोज पांडे ने कहा, “नारियल तेल से कैंसर ठीक होने का भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। किसी प्रकार की डायट में बदलाव करने का कैंसर को लेकर कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कैंसर एक मॉलिक्यूलर जेनेटिक डिजीज है, जिसमें डीएनए डैमेज होता है। कभी हम कैंसर को मेटाबॉलिक डिजीज समझते थे। अब कैंसर मेटाबॉलिक नहीं, बल्कि मॉलिक्यूलर जेनेटिक डिजीज है। मेटाबॉलिज्‍म को अगर ठीक भी कर लेंगे तो कैंसर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर कोई तंबाकू, गुटखा या शराब का सेवन कर रहा है तो नींबू का पानी पीने या नारियल तेल पीने से कुछ नहीं होगा। जो विषाक्‍त पदार्थ शरीर में जा रहे हैं, वे डीएनए डैमेज करेंगे ही। इस पर भरोसा न करके डॉक्‍टरी इलाज पर ध्‍यान दें।

वहीं, डॉ. रोहित कपूर का कहना है, “इस तरह के मैसेज पहले भी कई बार वायरल हो चुके हैं। इन पर भरोसा करके इलाज नहीं छोड़ना चाहिए।

सुबह और रात को तीन बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पीने से कैंसर गायब होने वाला दावा भी गलत निकला। इसका भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

इससे पहले अनानास का गर्म पानी पीने से कैंसर सही होने का दावा भी किया गया था। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वह दावा भी गलत निकला था।

हालांकि, विश्‍वास न्‍यूज पोस्‍ट के साथ दी गई तस्‍वीर की पुष्टि नहीं करता है।

अंत में हमने गलत दावा करने वाले यूजर की प्रोफाइल को स्‍कैन किया। 3 फरवरी को बने इस पेज की लोकेशन दिल्‍ली दी हुई है।

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