इस समय भारत में ‘ईवी क्रांति’ का दौर है, लोग इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स (ईवीज़) पसंद करने लगे हैं। ऐसे में दिल्ली के अभिषेक द्विवेदी लोगों को यह बताना चाहते हैं कि ई-स्कूटर को एडवेंचर के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक मैकेनिकल इंजीनियर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन के छात्र रह चुके, अभिषेक का कहना है कि उन्हें इलेक्ट्रिक वाहन हमेशा से आकर्षित करते थे। लेकिन वह यह देखकर चिंता में पड़ गए कि जब इलेक्ट्रिक वाहन ख़रीदने की बात आती है, तो लोग इसे एक ‘समझौते’ की तरह देखते हैं।
कई समस्याओं का समाधान है इलेक्ट्रिक वाहन
अभिषेक ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं लोगों से यह सुन-सुनकर थक गया था कि अगर इलेक्ट्रिक स्कूटर ख़रीदते हैं, तो आपको गाड़ी की क्वालिटी और क्षमता से समझौता करना पड़ता है। मैं यह साबित करना चाहता था कि इलेक्ट्रिक वाहन या ईवी किसी भी एडवेंचर बाइक की तरह ही बढ़िया हो सकते हैं।”
अभिषेक को लगता है कि जब वाहनों से होने वाले प्रदूषण की समस्या की बात आती है, तो इलेक्ट्रिक वाहन इसका सबसे अच्छा समाधान है। वह कहते हैं, “अगर हम इस बदलाव को अपना लें, तो ईवी से जुड़ी कई समस्याओं को हल कर सकते हैं।”
इलेक्ट्रिक स्कूटर से 17,982 फीट की ऊंचाई पर पहुंचे
अभिषेक बताते हैं कि वह अपनी ई-बाइक से भारत का लगभग हर जिला घूम चुके हैं। वह कहते हैं, “जब मैंने 14 साल पहले ट्रैवल करना शुरू किया था, तब से अब तक मैं अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप के अलावा, देश के हर कोने की यात्रा कर चुका हूँ।”
वह मनाली-लेह हाईवे पर कई बार गाड़ी चला चुके थे, लेकिन कुछ अलग करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने फिर उसी जगह ट्रैवल करने का फैसला किया, लेकिन इस बार इलेक्ट्रिक स्कूटर से।
7 जुलाई को वह अपने मनाली ऑफिस से एक अनरजिस्टर्ड ई-स्कूटर पर 25 किमी (सरकारी नियमों के अनुसार) की स्पीड से 17,982 फीट की ऊंचाई पर स्थित खारदुंगला दर्रे के लिए निकल गए। जिस ट्रिप में एक नॉर्मल बाइक से 24 घंटे से भी कम समय लगना था, उसमें उन्हें तीन दिन लगे। इस दौरान अभिषेक ने हर दिन ठंडे इलाकों, सूखी नदियों और कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रों से गुज़रते हुए आठ घंटे से ज़्यादा गाड़ी चलाई।
वह बताते हैं, “जब ईवी ख़रीदने की बात आती है, तो मशीन के बारे में चिंताओं के साथ-साथ, लोगों को रेंज की चिंता होती है। वे सोचते हैं कि क्या यह ठंडे क्षेत्रों में अपनी प्लास्टिक बॉडी के साथ चल पाएगी। लेकिन सड़क पर तीन दिनों में, ई-स्कूटर ने मुझे एक बार भी धोखा नहीं दिया।” अभिषेक अपने स्टार्टअप, ईवीज़ के ही एक ई-स्कूटर से इस ट्रिप पर गए थे।
अभिषेक ने अपने साथ एक एक्स्ट्रा बैटरी भी रखी थी। वह कहते हैं, “हमने कैंपसाइट में रेहनेवालों या स्थानीय लोगों से जनरेटर लेकर स्कूटर की बैटरी चार्ज की। पूरी ट्रिप में मैंने आराम से स्कूटर चालाई और हमें कोई मुश्किल नहीं आई।” वैसे तो ईवीज़ स्कूटर को किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन पर चार्ज किया जा सकता है, लेकिन अभिषेक को हिमालय में चार्जिंग स्टेशन न होने की वजह से बैटरी लेकर चलना पड़ा।
इलेक्ट्रिक वाहन को बनाना चाहते हैं एक सस्ता और आसान विकल्प
खारदुंगला दर्रे की चोटी तक जाने के बाद अभिषेक अब एक और पहाड़ी डेस्टिनेशन पर ट्रैवल करना चाहते हैं। अपने बिज़नेस पार्टनर गौरव के साथ मिलकर, वह ईवी को देश के हर कोने में पहुँचाना चाहते हैं। वह कहते हैं, “इलेक्ट्रिक वाहन अक्सर महंगे होते हैं, जिससे लोअर और मिडिल क्लास लोग इसे ख़रीद नहीं पाते। हम इसी का समाधान निकालना चाहते हैं।”
उनका स्टार्टअप ईवीज़, अब ज़ोमैटो, स्विगी, ऊबर, शैडोफैक्स और कई कंपनियों के साथ मिलकर इसे सस्ता और आसान बनाने का काम कर रहा है। यह स्टार्टअप मंथली सब्सक्रिप्शन-बेस्ड मॉडल पर दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, मुंबई और कोलकाता में डिलीवरी पार्टनर्स और बिज़नेस एजेंट्स को इलेक्ट्रिक वाहन देते हैं।
अभिषेक आगे कहते हैं, “हम उन राइडर्स को भी ई-बाइक देते हैं, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है। ये अनरजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहन हैं, जिनकी मैक्सिमम स्पीड 25 किमी/घंटा है और इन्हें चलाना आसान है। इससे उन्हें लोन लेने और ईएमआई से बचने में मदद मिलती है।”
सिर्फ़ 110 रुपये में ले सकते हैं ईवी
मंथली सब्सक्रिप्शन 110 रुपये से शुरू होता है और कोई भी राइडर एक बार में 1,100 रुपये की सिक्योरिटी फ़ीस जमा करके वाहन ले सकता है। वाहन खराब होने पर कंपनी ऑन स्पॉट रिपेयर की सुविधा भी देती है। अभिषेक और उनकी टीम दिल्ली में छोटे बिज़नेस के साथ भी काम करते हैं और उनमें से कई इलेक्ट्रिक वाहनों के ज़रिए चलते हैं।
अभिषेक बताते हैं, “हम कम आमदनी वाले परिवारों से आने वाली महिलाओं के साथ भी काम करते हैं, जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है या वाहन ख़रीदने के लिए लोन नहीं ले सकतीं। महिला राइडर्स, जो अक्सर ऑनलाइन ऐप के लिए दवाएं डिलीवर करने का काम करती हैं, आधार कार्ड के आधार पर हमसे वाहन ले सकती हैं।”
अभिषेक और गौरव की अपनी कंपनी के लिए दो लक्ष्य हैं- कस्टमर की खुशी और सस्टेनेबिलिटी। अभिषेक, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र विकास परियोजना (यूएनडीपी) के साथ भी काम किया है, उनका कहना है कि उनके हर काम का उद्देश्य सस्टेनेबिलिटी होता है। वह बताते हैं, “वाहन जितना कारगर होता है, इसका मतलब है कि हमारे रिसोर्सेज़ भी उतने काम के हैं। इको फ्रेंडली रहना और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) हमारे बिज़नेस आईडिया का सबसे ज़रूरी हिस्सा हैं।”
अगर आप इलेक्ट्रिक स्कूटर ख़रीदने या किराए पर लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप ईवीज़ से उनकी वेबसाइट www.eveez.in के ज़रिए संपर्क कर सकते हैं या उन्हें hello@eveez.in पर ई-मेल कर सकते हैं।
मूल लेख – प्रियाली ढींगरा
संपादन – अर्चना दुबे
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